चन्दावर का युद्ध I Battle of Chandawar

चन्दावर का युद्ध I Battle of Chandawar: चन्दावर का युद्ध सन् 1194 में कन्नौज के शासक जयचन्द एवं मोहम्मद गौरी के मध्य बीच लड़ा गया जिसमें जयचन्द की पराजय हुई एवं जयचन्द इस युद्ध में मारा गया।

चंदावर स्थान इटावा जिले में यमुना नदी के तट पर था।

कन्नौज और इटावा के बीच चंदावर नामक स्थान पर दोनों के मध्य युद्ध हुआ। इस युद्ध के दौरान जयचंद के आंख में तीर लग गया और वह हाथी से गिर पड़ा उसकी सेना का साहस टूट गया और वे रणभूमि से भाग गए। जयचंद पराजित हुआ और मारा गया।

इसके बाद  मोहम्मद गोरी असनी के किले को लूटा जहां जयचंद ने अपने कोष  संग्रहित कर रखे थे। जयचंद्र के सभी प्रमुख स्थानों पर अधिकार कर लिया गया आगे बढ़ कर उसने बनारस को भी लुटा, बनारस में कई मंदिरों को नष्ट कर उनके स्थान पर मस्जिद बनवाई यद्यपि समस्त गढह़वाल राज्य पर अधिकार नहीं किया जा सका।

गहड़वालों के अनेक  महत्वपूर्ण केंद्र अभी स्वतंत्र रहे फिर भी मोहम्मद गौरी द्वारा तराईन और चंदावर की विजय ने भारत में तुर्क राज्य की बुनियाद रख दी थी।

मोहम्मद गौरी के आक्रमण के समय कन्नौज का गढ़वाल राज्य उत्तर भारत में सबसे विस्तृत था।

इस युद्ध को जीतने के बाद मुहम्मद गोरी का उत्तरी भारत के उपयुक्त क्षेत्र पर अधिकार हो गया था।

कुछ आधुनिक इतिहासकारों के अनुसार, जयचंद "भारत के सबसे महान सम्राट थे और 10,000 योद्धाओं और 700 हाथियों के साथ सबसे बड़े क्षेत्र - पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार पर अधिकार रखते थे।

गोरी की ओर से चंदावर के युद्ध का नेतृत्व किसने किया था?

कुतुब अल-दीन ऐबक ने चंदावर की लड़ाई के दौरान घुरिद सेना के सेनापति के रूप में कार्य किया। उन्होंने युद्ध के दौरान जय चंद्र को हराया।