(A) चित्रकला
(B) ब्लू पॉटरी
(C) उनी खादी
(D) थेवा कला
Answer: B
जयपुर का परम्परागत हस्त उद्योग ब्लू पॉटरी है। जयपुर में ब्ल्यू पौटरी प्रारम्भ करने का श्रेय मानसिंह (प्रथम) को है, जबकि सवाई रामसिंह के समय इस कला का विकास हुआ।
ब्ल्यू पॉटरी कला का जन्म ईरान में हुआ था।
ब्ल्यू पॉटरी के निर्माण के लिए पहले क्वार्ट्स एवं चीनी मिट्टी के बर्तनों पर चित्रकारी की जाती है, फिर इन पर एक विशेष घोल चढ़ाया जाता है। यह घोल हरा काँच, कथीर. साजी. क्वार्टज पाउडर और मुल्तानी मिट्टी से मिलाकर बनाया जाता है। ब्ल्यू पॉटरी के रंगों में नीला, हरा, मटियाला और ताम्बाई रंग विशेष रूप से काम मे लेते है।
NOTE: जयपुर के कृपाल सिंह शेखावत इसके सिद्धहस्त कलाकार थे। कला में उनके योगदान हेतु 1974 में उन्हें पद्म श्री तथा 1980 में कलाविद सम्मान से सम्मानित किया गया था।
- बीकानेर की पॉटरी में लाख के रंगों का प्रयोग होता है।
- अलवर की डबल कट वर्क की पॉटरी को कागजी कहा जाता है।
- कोटा सुनहरी ब्लेक पॉटरी फूलदानों, मटकों और प्लेटों के लिए प्रसिद्ध है।