‘आर्यमंजूश्रीमूलकल्प’ निम्न में से किससे संबंधित है?

(A) थेरवाद

(B) हीनयान

(C) महायान

(D) वज्रयान

Answer: A

आर्यमंजुश्रीमूलकल्प नामक ग्रंथ एक प्रसिद्ध ग्रंथ है, जो महायान बौद्ध धर्म ग्रंथ है। सर्वप्रथम गणपति शास्री ने 1925 ईस्वी में इसे प्रकाशित किया था।

इस ग्रंथ में एक हजार श्लोक हैं, जिनके अंदर ईसा पूर्व 7वी. शता. से लेकर 8वी. शता. ईस्वी तक का प्राचीन भारत के इतिहास का वर्णन है।  हर्षकालीन इतिहास की कुछ घटनाओं पर यह ग्रंथ प्रकाश डालता है। इसमें हर्ष के लिये केवल ‘ह’ शब्द का प्रयोग किया गया है।

NOTE: वैशाली में द्वितीय बौद्ध संगीति का आयोजन किया गया और यहाँ पर बौद्ध धर्म दो विचारधाराओं में बंट गया – थेरवाद और महासांघिक।

सामान्यतः थेरवाद को ही आगे चलकर हीनयान के नाम से जाना गया और महासांघिक को आगे चलकर महायान के नाम से जाना गया।