(A) टिल्ला भट्ट
(B) मुनि सुंदर सूरी
(C) मुनि जिन विजय सूरी
(D) नाथा
Answer: C
मुनि जिन विजय सूरी विद्वान कुंभा के दरबार में नहीं था। कुंभा स्वयं विद्वान् था और कई विद्वानों एवं साहित्यकारों का आश्रयदाता था।
कुंभा ने कई ग्रंथों की रचना की जिसमें ‘संगीतराज, ‘संगीत मीमांसा, सूड प्रबंध‘ प्रमुख है।
कुम्भा ने अनेक दुर्गों का निर्माण कराया तथा ऐसे माना जाता है कि मेवाड़ के 84 दुर्गों में से 32 दुर्ग तो अकेले कुंभा ने ही बनवाए थे।
कुंभा के दरबार में निम्नलिखित विद्वान थे
नाथा
टिल्ला भट्ट
सारंग व्यास – कुम्भा के संगीत गुरु
कान्हा व्यास – एकलिंगमहात्म्य के लेखक
अत्रिभट्ट – कीर्ति सतंभ परस्ती के लेखक
रमाबाई – कुम्भा की पुत्री (रमाबाई को ‘वागीश्वरी’भी कहा गया है।)
महेश भट्ट – कीर्ति स्तंभ प्रशस्ति का प्रशस्तिकार
मुनि सोम सुंदर सूरि