(A) पीपा
(B) लालदास
(C) हरिदास
(D) मावजी
Answer: C
डीडवाना के संत हरिदास जी ने 15वीं सदी में शैव सम्प्रदाय की निर्गुण भक्ति की शाखा निरंजनी सम्प्रदाय की पीठ मारवाड में स्थापित की।
हरिदास जी ने अपनी वाणी में अनाशक्ति, वैराग्य, आचरण शुद्धि आदि निर्गुण ज्ञानाश्रयी मार्ग का तथा दूसरी ओर सगण भक्ति की उपासना का अवलंबन कर समन्यवयवादी विचार दिया।
इस पंथ के अनुयायी निरंजनी कहलाते हैं जो गहस्थी (घरबारी) एवं वैरागी (निहंग) में बंटे होते हैं। इसमें परमात्मा को अलख निरंजन, हरि निरंजन आदि कहा गया है।
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