(A) घूमर
(B) अग्नि
(C) गीदड़
(D) तेरहाताली
Answer: B
अग्नि नृत्य करने वाले नर्तक पहले तेज़ीके साथ धूणा की परिक्रमा करते हैं ओर फिर गुरु की आज्ञा लेकर ‘फ़तह’! फ़तह!’ (अर्थात् विजय हो! विजय हो!) कहते हुए अंगारों पर प्रवेश करते हैं।
राजस्थान में अग्नि नृत्य का आरम्भ ‘जसनाथी सम्प्रदाय’ के जाट सिद्धों द्वारा किया गया था।अग्नि नृत्य का उद्गम स्थल बीकानेर का ‘कतरियासर‘ ग्राम माना जाता है।
NOTE: अग्नि नृत्य में केवल पुरुष भाग लेते हैं। वे सिर पर पगड़ी, धोती-कुर्ता और पाँव में कड़ा पहनते हैं। यह नृत्य ‘अग्नि’ अर्थात् धधकते हुए अंगारों के बीच किया जाता है।