नटराज रामकृष्ण I Nataraja Ramakrishna: नटराज रामकृष्ण का जन्म 21 मार्च, 1923 को, बाली, इंडोनेशिया में आंध्र प्रदेश के एक भारतीय प्रवासी परिवार में हुआ था। भारत के एक नृत्य गुरु थे। वे आंध्र प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष रहे थे। वह एक विद्वान और संगीतज्ञ भी थे।
परिचय
- जन्म: 21 मार्च, 1923 बाली (इंडोनेशिया)
- पिता: राममोहन राव,
- माता: दमयंती देवी
- मृत्यु: 7 जून, 2011 (हैदराबाद)
रामकृष्ण को बचपन से ही शास्त्रीय नृत्य रूपों में रुचि थी। उन्होंने कला के प्रेम के लिए अपना परिवार और संपत्ति छोड़ दी क्योंकि उनके पिता को यह मंजूर नहीं था। उन्होंने अपना लड़कपन मद्रास के रामकृष्ण मठ और महात्मा गांधी के आश्रम में बिताया।
- मात्र 18 साल की उम्र में ही रामकृष्ण को मराठा के तत्कालीन शासक द्वारा नागपुर में ‘नटराज’ की उपाधि दी गई थी।
- नटराज रामकृष्ण को 700 साल पुराने नृत्य रूप ‘पेरिनी शिवतांडवम्’ को पुनर्जीवित करने के लिए जाना जाता है।
- आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री नीलम संजीव रेड्डी के अनुरोध पर नटराज रामकृष्ण ने हैदराबाद में ‘नृत्य निकेतन’ नामक नृत्य विद्यालय की स्थापना की थी।
- उन्होंने कुचिपुड़ी को पारंपरिक नृत्य रूप के साथ अंतर्राष्ट्रीय ख्याति दिलाई तथा वर्ष 1991 में उन्हें ‘राजा-लक्ष्मी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।
- नटराज रामकृष्ण ने डोमारस, गुरवाययालु, उरुमुलु और वेदी भगवतुलु जैसे नृत्य कलाकारों को भी प्रोत्साहित किया।
- उन्होंने भगवान वेंकटेश्वर के जीवन की रचना ‘नृत्य नाटक’ (बैले) के रूप में की थी।
- भारत सरकार द्वारा प्रायोजित एक शोध छात्र के रूप में नटराज रामकृष्ण ने तत्कालीन यूएसएसआर (अब रूस) और फ्रांस में भारतीय नृत्य कला का प्रचार करने के लिए काम किया, जिससे भारतीय और पश्चिमी शास्त्रीय और लोक नृत्यों का तुलनात्मक अध्ययन किया गया।
पुरस्कार
- वर्ष 1992 में उन्हें ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया गया।
- उन्हें 1991 में राजा-लक्ष्मी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
- उन्हें 21 जनवरी, 2011 को संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप से सम्मानित किया गया था।
निधन : 7 जून, 2011 को 88 वर्ष की आयु में इनका निधन हो गया।