1. सेबी अधिनियम, 1992 के माध्यम से यह एक स्वायत्त निकाय बना तथा इसे वैधानिक शक्तियाँ प्रदान की गई।
2. यह अर्द्ध-विधायी, अर्द्ध-न्यायिक और अर्द्ध-कार्यकारी निकाय के रूप में कार्य करता है।
3. सेबी के अध्यक्ष के पास “तलाशी/जाँच और ज़ब्ती संबंधी ऑपरेशन” का आदेश देने का अधिकार है।
उपर्युक्त कथनों में से कितने सही नहीं हैं?
(A) केवल एक
(B) केवल दो
(c) सभी तीन
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer: D
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI):
सेबी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के प्रावधानों के अनुसार 12 अप्रैल, 1992 को स्थापित एक वैधानिक निकाय (एक गैर-संवैधानिक निकाय जिसे संसद द्वारा स्थापित किया गया) है।
पृष्ठभूमि:
- सेबी के अस्तित्व में आने से पहले पूंजीगत मुद्दों का नियंत्रक (Controller of Capital Issues) नियामक प्राधिकरण था; इसे पूंजी मुद्दे (नियंत्रण) अधिनियम, 1947 के तहत अधिकार प्राप्त थे।
- अप्रैल 1988 में भारत सरकार के एक प्रस्ताव के तहत सेबी का गठन भारत में पूंजी बाज़ार के नियामक के रूप में किया गया था।
- प्रारंभ में सेबी एक गैर-वैधानिक निकाय था जिसे किसी भी तरह की वैधानिक शक्ति प्राप्त नहीं थी।
- सेबी अधिनियम, 1992 के माध्यम से यह एक स्वायत्त निकाय बना तथा इसे वैधानिक शक्तियाँ प्रदान की गई।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के कार्य:
- सेबी एक अर्द्ध-विधायी और अर्द्ध-न्यायिक निकाय है जो विनियमों का मसौदा तैयार कर सकता है, पूछताछ कर सकता है, नियम पारित कर सकता है तथा ज़ुर्माना लगा सकता है।
- प्रतिभूति कानून (संशोधन) अधिनियम, 2014 द्वारा सेबी अब 100 करोड़ रुपए या उससे अधिक राशि की किसी भी मनी पूलिंग योजना को विनियमित करने तथा गैर-अनुपालन के मामलों में संपत्ति को संलग्न करने में सक्षम है।
- सेबी के अध्यक्ष के पास “तलाशी/जाँच और ज़ब्ती संबंधी ऑपरेशन” का आदेश देने का अधिकार है। सेबी बोर्ड किसी भी प्रकार के प्रतिभूति लेन-देन के संबंध में व्यक्ति या संस्थाओं से टेलीफोन कॉल डेटा रिकॉर्ड जैसी जानकारी भी मांग सकता है।