राजस्थान एकीकरण से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य

राजस्थान एकीकरण से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य: राजस्थान एकीकरण की प्रक्रिया सन् 1948 से आरंभ होकर सन् 1956 तक सात चरणों में सम्पन्न हुई। तत्कालीन राजपूताना की 19 रियासतों एवं तीन चीफशिप (ठिकानों) वाले क्षेत्रों को 7 चरणों में एकीकृत कर 30 मार्च 1949 को राजस्थान का गठन किया गया।

  • राजस्थान के एकीकरण में कुल 8 वर्ष 7 माह 14 दिन या 3144 दिन लगे।
राजस्थान का एकीकरण के लिए 5 जुलाई, 1947 को रियासत सचिवालय की स्थापना की गई थी। इसके अध्यक्ष सरदार वल्लभ भाई पटेल व सचिव वी.पी. मेनन थे। रियासती सचिव द्वारा रियासतों के सामने स्वतंत्र रहने के लिए दो शर्त रखी गईं। प्रथम, जनसंख्या 10 लाख से अधिक एवं दूसरा, वार्षिक आय 1 करोड़ से अधिक होनी चाहिये।

राजस्थान एकीकरण से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य

  • स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व वर्तमान राजस्थान 19 देशी रियासतों, तीन ठिकानों व एक चीफ कमिश्नर शासित C श्रेणी का राज्य अजमेर-मेरवाड़ा में विभक्त था।
  • राजस्थान की सबसे प्राचीन रियासत मेवाड़ (उदयपुर) थी। मेवाड़ रियासत की स्थापना 565 ई. में गुहिल वंश के बाप्पा रावल के द्वारा की गई थी। तथा राजस्थान की सबसे नवीन रियासत झालावाड थी इसे कोटा से अलग करके रियासत का दर्जा दिया गया और इसकी राजधानी पाटन रखी गयी। झालावाड़ अंग्रेजों के समय में स्थापित एकमात्र रियासत थी।
  • क्षेत्रफल की दृष्टि से मारवाड़ व जनसंख्या की दृष्टि से जयपुर सबसे बड़ी रियासत थी जबकि शाहपुरा क्षेत्रफल व जनसंख्या दोनों ही दृष्टि से सबसे छोटी रियासत थी।
  • राजस्थान में अधिकार रियासतें राजपूतों की ही थी। उस समय टोंक एकमात्र मुस्लिम रियासत थी तथा भरतपुर व धौलपुर जाटों की रियासत थी।
  • बीकानेर नरेश सार्दुल सिंह विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले पहले राजा थे। उन्होंने 7 अगस्त 1947 ई. को सर्वप्रथम रियासती विलय पत्र पर हस्ताक्षर किया था। एकीकरण के समय सर्वाधिक धरोहर राशि जमा करवाने वाली रियासत बीकानेर थी।इसने 4 करोड़ 87 लाख की धरोहर राशि जमा करवाई थी।
  • धौलपुर रियासत विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने वाली अंतिम रियासत थी। धौलपुर के शासक उदयभान सिंह ने 14 अगस्त 1947 को रियासती विलय पत्र पर हस्ताक्षर किया।
  • राजस्थान के एकीकरण का प्रथम प्रयास जनरल लिनलिथगो ने (लगभग 1940) किया था।
  • अलवर, भरतपुर, धौलपुर, डुंगरपुर, टोंक व जोधपुर रियासतें राजस्थान में नही मिलना चाहती थी। टोंक व जोधपुर रियासतें एकीकरण के समय पाकिस्तान में मिलना चाहती थी।
  • विलयपत्र पर हस्ताक्षर के समय बांसवाड़ा महारावल चंद्रवीर सिंह ने कहा की “में अपने डेथ वारंट पर हस्ताक्षर कर रहा हूँ”
  • जोधपुर के महाराजा हनुवंत सिंह मोहम्मद अली जिन्ना से मिलने दिल्ली गए। वी.पी. मेनन हनुवंत सिंह को दिल्ली में बहाने से वायसराय भवन में माउंटबेटन के पास ले गए। जहाँ मजबूरन उन्हें राजस्थान के विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने पड़े।
  • अलवर रियासत का सम्बन्ध महात्मा गाँधी की हत्या से जुड़ा हुआ है। अलवर रियासत के शासक तेजसिंह के दीवान नारायण भास्कर खरे ने महात्मा गाँधी की हत्या के कुछ दिन पूर्व नाथूराम गोडसे व उसके सहयोगी परचुरे को अलवर में शरण दी थी ।महात्मा गांधी की हत्या के संदेह में अलवर के शासक तेजसिंह व दीवान एम.बी. खरे को दिल्ली में नजर बंद करके रखा गया था। अलवर रियासत ने भारत का प्रथम स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाया था।
  • अलवर, भरतपुर व धौलपुर रियासतें एकीकरण के समय भाषायी समानता के आधार पर उत्तरप्रदेश में मिलना चाहती थी।
  • 1971 में हुए 26वे संविधान संशोधन में राजाओं को मिलने वाले प्रवीपर्स समाप्त कर दिये गये।